हापुड़ में स्वास्थ्य विभाग से छह महीनों में जिले के 24 निजी अल्ट्रासाउंड सेंटरों को जारी 60 फीसदी (2315) से अधिक क्यूआर कोड निरस्त हो गए हैं। कई गर्भवतियों के बिना जांच ही प्रसव हो रहे है। मई महीने में सबसे अधिक कोड निरस्त हुए। तीमारदारों को एक महीने की वेटिंग मिल रही है। सीएमओ ने मामले का संज्ञान लिया है।
स्वास्थ्य विभाग में दो अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं, इसमें जिला अस्पताल में करीब 12 दिन और सीएचसी हापुड़ में एक महीने की वेटिंग दी जा रही है। गर्भवती महिलाओं की त्वरित जांच के लिए प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनर्सिप) मॉडल से गर्भवतियों को जांच की सुविधा दी जाती है। जिसमें विभाग ने 24 अल्ट्रासाउंड सेंटरों को पैनल में रखा है।
प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना में गर्भवती महिलाओं की आवश्यक जांच कराने के लिए हर महीने एक, नौ, 16 और 24 तारीख को शिविर लगाया जाता है। अल्ट्रासाउंड जांच के लिए गर्भवतियों को क्यूआर कोड जारी होते हैं।
महीने में चार दिन गर्भवतियों की जांच कर, अल्ट्रासाउंड के लिए ई-रुपये वाउचर जारी किया जा रहा है। इसमें गर्भवती के फोन पर एक ओटीपी भेजा जाता है, जबकि संबंधित सेंटर की मेल आईडी पर क्यूआर कोड। इसके जरिए गर्भवती की प्राइवेट सेंटर पर निशुल्क जांच होती है। विभाग जरूरत वाली महिलाओं को कोड जारी कर रहा है, लेकिन इसके सापेक्ष जांच 40 फीसदी महिलाओं की भी नहीं हो पा रही है। विभाग से मिले अप्रैल से सितंबर तक के आंकड़े चौकाने वाले रहे हैं, कुछ महीनों में 25 फीसदी ही क्यूआर कोड सफल हो सके हैं।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की सरकारी अस्पतालों में आने वाली गर्भवती महिलाओं की हर संभव जांच करायी जा रही है। क्यूआर कोड से भी उन्हें लाभ दिलाया जा रहा है। कोड का सही इस्तेमाल कर सकें, इसके लिए जागरूक भी कर रहे हैं। जानकारी के अभाव में भी कोड निरस्त हो जा रहे हैं।