जनपद हापुड़ में गर्भवती महिलाओं में खून की कमी नवजातों पर भारी पड़ रही है, समय से पहले ही बच्चे जन्म ले रहे हैं। जिनमें करीब एक फीसदी की हालत असामान्य होने पर उन्हें नर्सरियों में भर्ती रखना पड़ रहा है। सरकारी अस्पताल की नर्सरी फुल है, साथ ही प्राइवेट तरी में भी 25 से अधिक बच्चे उपचार पा रहे हैं।
खून की कमी की वजह से शिशु भी कम वजन वाला व कमजोर पैदा होता है। जच्चा-बच्चा स्वस्थ्य रहे इसके लिए गर्भावस्था में महिलाओं को आयरन, विटामिन, मिनरल की ज्यादा जरूरत होती है। भोजन में पोषक तत्वों की कमी महिलाओं को एनीमिक बना देती है। महिलाओं में हिमोग्लोबिन 12 ग्राम होना चाहिए।
महिलाओं को गर्भावस्था में सबसे बड़ा खतरा ‘एनीमिया’ का होता है। अक्सर महिलाएं घर में काम काज करने के चक्कर में अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाह हो जाती हैं। यही कारण है कि ज्यादातर महिलाएं खून की कमी या एनीमिक जैसी बीमारी की चपेट में आ जाती हैं।
स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में करीब 35 हजार महिलाओं में खून की कमी मिली थी। जांच के दौरान 10 हजार से अधिक महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर 9 से भी कम मिला था। ऐसी महिलाओं की साप्ताहिक जांच के साथ ही आवश्यक दवाएं शुरू कराई गई। लेकिन अभी भी एनीमिया नियंत्रण में नहीं है।
गर्भवती महिलाओं में खून की कमी के कारण अधिकांश बच्चे सर्जरी से ही करने पड़ रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार हाई रिस्क की श्रेणी में आने वाली महिलाओं का प्रसव मुश्किल हो रहा है। बहरहाल, समय से पहले जन्म लेने वाले करीब 20 बच्चे जिले के अस्पतालों की नर्सरी में भर्ती हैं, इसमें गढ़ रोड सीएचसी में ही सात बच्चे हैं, जबकि प्राइवेट अस्पतालों में भी ऐसे बच्चों की भरमार है।
सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की नर्सरी में जन्म के समय न रोने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है, बच्चों की इस स्थिति को बर्थ एसफिक्सिया कहा जाता है, सीएचसी हापुड़ की नर्सरी में ऐसे तीन और प्राइवेट में सात बच्चे भर्ती हैं। नवजात इस मौसम में भी पीलिया से जूझ रहे हैं, ऐसे बच्चों की नर्सरी में भर्ती कर फोटोथेरेपी की जा रही है। सीएचसी में फिलहाल ऐसे दो बच्चे भर्ती हैं।
हापुड़ सीएमओ डॉ.सुनील त्यागी- ने बताया की सीएचसी की नर्सरी में भर्ती होने वाले बच्चों को उपचार दिलाया जा रहा है। समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है। जिला अस्पताल में भी जल्द बच्चों को भर्ती करने की व्यवस्था शुरू हो जाएगी। बाल रोग विशेषज्ञों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं।