हापुड़ में मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होंगी। बीएसए उन स्कूलों के खिलाफ नोटिस जारी किया है जिनके खिलाफ फीस बढ़ाने की शिकायतें मिली थीं। इसमें तीन साल के अंदर एक ही बार फीस बढ़ाने के शासनादेश से अवगत कराया गया है। निर्देश दिए हैं कि जब फीस बढ़े तब भी इजाफा 10 फीसदी से अधिक न हो। साथ स्कूल संचालकों से मान्यता के संबंध में प्रपत्र तलब किए हैं।
एक अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू हो गया है, कान्वेंट स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया जारी है। अधिकांश स्कूलों ने फीस में 10 से 25 फीसदी तक इजाफा किया है। स्कूलों की मानें तो हर साल 10 फीसदी तक फीस बढ़ाने का प्रावधान है। मनमाने ढंग से फीस बढ़ोतरी की अभिभावकों की बढ़ती शिकायतों के बीच बीएसए रितु तोमर ने 120 स्कूलों को नोटिस जारी किया है।
बीएसए ने शासन के आदेश का हवाला देकर स्थिति को स्पष्ट कर दिया है। इसमें कहा है कि शिक्षण शुल्क में कोई वृद्धि तीन साल तक नहीं की जा सकेगी। शुल्क में जब वृद्धि होगी वह 10 फीसदी से अधिक नहीं होगी।
बेसिक शिक्षा अनुभाग-3 लखनऊ के प्रस्तर-30 का हवाला देते हुए नोटिस में कहा है कि शुल्क/फीस मान्यता प्राप्त विद्यालय द्वारा छात्रों से शिक्षण शुल्क एवं महंगाई शुल्क मिलाकर उतना मासिक शुल्क स्वीकार किया जाएगा जो विद्यालय स्टाफ के वेतन, अनुरक्षण व इससे संबंधित अन्य व्यय के लिए पर्याप्त हो। इसके अतिरिक्त शिक्षण शुल्क तथा महंगाई शुल्क से विद्यालय की वार्षिक आय में से वेतन भुगतान के पश्चात शुल्क आय के 20 प्रतिशत से अधिक बचत न हो।
चिन्हित विक्रेता से पुस्तक खरीदने के लिए न करें बाध्य : बीएसए ने जारी नोटिस में निजी प्रकाशकों के कोर्स को लेकर भी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि किसी भी अभिभावकों को किसी एक प्रकाशन या दुकान से किताबें लेने के लिए बाध्य न किया जाए। साथ ही स्कूलों को मान्यता लेने में लापरवाही न बरतने की चेतावनी दी है।
बीएसए रीतु तोमर- ने बताया की स्कूलों को नोटिस जारी किया गया है। इसमें शिक्षण शुल्क में तीन वर्ष तक कोई वृद्धि नहीं करने के आदेश से अवगत कराया है। आदेशों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों पर कार्यवाही होगी।